नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से एक बड़ी और चौंकाने वाली खबर सामने आई है। महाकुंभ में जाने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर इकट्ठा हो गए थे, जिसकी वजह से भगदड़ मच गई। समाचार एजेंसी एएनआई के हवाले से बताया गया है कि इस भगदड़ में 17 लोगों की मौत हो गयी है जिसमे 3बच्चे भी शामिल हैं। दिल्ली पुलिस और रेलवे पुलिस ने स्थिति पर नियंत्रण पाने की पूरी कोशिश की, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर रेलवे सुरक्षा और यात्री सुविधाओं को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना के बाद रेल मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि रेलवे पुलिस और दिल्ली पुलिस तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गई हैं। स्थिति अब पूरी तरह से नियंत्रण में है और घायलों को अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया है। इसके अलावा, मौके पर चार दमकल गाड़ियां और एंबुलेंस भी भेजी गई हैं ताकि किसी भी और आपातकालीन स्थिति से निपटा जा सके। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए इस हादसे के बाद रेलवे प्रशासन ने यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए सख्त कदम उठाने की बात की है।
घटना के बारे में और जानकारी देते हुए बताया गया कि शनिवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाकुंभ में शामिल होने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 13 और 14 पर एकत्र हुए थे। प्लेटफॉर्म और स्टेशन के बाहर भीड़ इतनी ज्यादा हो गई थी कि यात्रियों को सांस लेने में भी परेशानी होने लगी। भीड़ की असामान्य संख्या के कारण यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई, और इसका नतीजा यह हुआ कि चार महिलाएं बेहोश हो गईं।
रेलवे के डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि प्रयागराज एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर खड़ी थी और इस दौरान प्लेटफॉर्म पर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए थे। स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस और भुवनेश्वर राजधानी ट्रेन भी देर से आ रही थीं। इन दोनों ट्रेनों के यात्री भी प्लेटफॉर्म नंबर 12, 13 और 14 पर आ गए थे। इसका परिणाम यह हुआ कि स्थिति पूरी तरह से बेकाबू हो गई।
केपीएस मल्होत्रा ने यह भी बताया कि उस समय तक 1500 से अधिक जनरल टिकट बिक चुके थे, जिसके कारण भीड़ इतनी अधिक हो गई। प्लेटफॉर्म नंबर 14 और 1 के पास स्थित एस्केलेटर के पास भगदड़ जैसी स्थिति बन गई थी। इस घटनाक्रम ने एक बार फिर रेलवे प्रशासन के समक्ष यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के मुद्दे को खड़ा किया है।
अब सवाल यह उठता है कि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए। क्या रेलवे और पुलिस प्रशासन भविष्य में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए बेहतर तैयार होंगे? यह सवाल उन सभी यात्रियों के लिए अहम है, जो रोजाना ट्रेनों से यात्रा करते हैं।