India Ki Famous Ram Stuti Mantra aur Arti Ram Navami 2025: राम नवमी पर विशेष पूजा विधि, प्रभावी मंत्र और आरती से पाएं श्रीराम का आशीर्वाद!
राम नवमी का महत्व
हिंदू धर्म में राम नवमी का विशेष महत्व है। हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राम नवमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन प्रभु रामलला का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें पूजा-पाठ और अभिषेक का आयोजन श्रद्धा भाव से किया जाता है। राम नवमी, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है, जो चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन होती है। इस दिन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी अत्यधिक है, क्योंकि यह न केवल भगवान राम के जन्म का प्रतीक है, बल्कि हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी मानी जाती है।
राम नवमी तक चलने वाली चैत्र नवरात्रि की शुरुआत, चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होती है और राम नवमी के दिन समापन होता है। भारत भर में हिंदू समुदाय बड़े उत्साह और खुशी के साथ इस पर्व को मनाते हैं। राम नवमी का दिन विशेष रूप से भगवान राम के आदर्शों और उनके जीवन के मूल्यों की याद दिलाता है, जो हमें सत्य, धर्म, और मर्यादा का पालन करने की प्रेरणा देता है।
भगवान राम और उनकी स्तुति “भए प्रगट कृपाला दीनदयाला”
भगवान राम, जो भगवान विष्णु के दशावतारों में एक अहम स्थान रखते हैं, उन्हें ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ के नाम से भी जाना जाता है। उनका जीवन एक आदर्श है, जो हमें सत्य, निष्ठा और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। भगवान राम के जन्म के समय गाए जाने वाली एक प्रसिद्ध स्तुति है—”भए प्रगट कृपाला दीनदयाला”—जो हर भक्त के दिल को छू जाती है।
यह भजन, गोस्वामी तुलसीदास जी की रचनाओं में से एक खास हिस्सा है, जो रामचरितमानस के बालकांड से लिया गया है। इस भजन में भगवान राम के पृथ्वी पर अवतार लेने और उनके जन्म के समय चारों दिशाओं में फैलती खुशी और सौभाग्य को बहुत खूबसूरती से व्यक्त किया गया है। जब भगवान राम ने पृथ्वी पर अवतार लिया, तो हर दिशा में हर्ष और मंगल की लहर दौड़ गई। इस भजन के माध्यम से यह संदेश मिलता है कि भगवान राम का जन्म धरती पर धर्म की पुनर्स्थापना और सत्य की विजय का प्रतीक है।

तुलसीदास जी द्वारा लिखी गई स्तुति – भए प्रगट कृपाला दीन दयाला फुल लिरिक्स
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला, कौसल्या हितकारी ।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी, अद्भुत रूप बिचारी ॥
लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा, निज आयुध भुजचारी ।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला, सोभासिंधु खरारी ॥
कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी, केहि बिधि करूं अनंता ।
माया गुन ग्यानातीत अमाना, वेद पुरान भनंता ॥
करुना सुख सागर, सब गुन आगर, जेहि गावहिं श्रुति संता ।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी, भयउ प्रगट श्रीकंता ॥
ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया, रोम रोम प्रति बेद कहै ।
मम उर सो बासी, यह उपहासी, सुनत धीर मति थिर न रहै ॥
उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना, चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै ।
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई, जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ॥
माता पुनि बोली, सो मति डोली, तजहु तात यह रूपा ।
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला, यह सुख परम अनूपा ॥
सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना, होइ बालक सुरभूपा ।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं, ते न परहिं भवकूपा ॥
|| दोहा: ||
बिप्र धेनु सुर संत हित, लीन्ह मनुज अवतार ।
निज इच्छा निर्मित तनु, माया गुन गो पार ॥
राम नवमी के दौरान विशेष पूजा और आयोजन
राम नवमी के दिन, विशेष रूप से मंदिरों में भव्य पूजा अर्चना, भजन-कीर्तन, और रामायण का पाठ किया जाता है। इस दिन का विशेष आकर्षण भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में देखा जाता है, जिसमें रथ यात्रा, दीप जलाना, और विशेष पूजा विधियों का पालन किया जाता है। कई स्थानों पर भगवान राम की मूर्ति को रथ पर सवार कर रथ यात्रा निकाली जाती है, और इस दिन का आयोजन भक्तगण बड़े धूम- धाम और श्रद्धा से किया जाता है। मंदिरो में भगवान के जन्म के समय कई प्रकार के द्रब्यो से भगवान का अभिषेक किया जाता है, शंख, घंटा, ढोल मजीरा और आरती के साथ भगवान का स्वागत किया जाता है।

भगवान श्री राम की आरती
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
|| छंद ||
मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर साँवरो।
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो॥
एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय सहित हियँ हरषीं अली।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली॥
।।सोरठा।।
जानि गौरी अनुकूल, सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल, वाम अंग फरकन लगे।।
भगवान राम को प्रसन्न करने का मंत्र:
यह मंत्र प्राचीन काल के महान ऋषि बुधकौशिक द्वारा रचित है, जो श्रीराम के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करने वाले थे।
राम रामाय, राम भद्राय, राम चन्द्राय नमोस्तुते!
राम रामाय, राम भद्राय, राम चन्द्राय नमोस्तुते!
रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे, रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः।।
अर्थ: यह मंत्र भगवान श्रीराम के विविध नामों का उच्चारण करता है, जैसे राम, रामभद्र, रामचन्द्र, वेधसे, रघुनाथ, नाथ और सीता के पतिके रूप में। ये सभी नाम श्रीराम के महान व्यक्तित्व और उनके गुणों को प्रकट करते हैं।
अन्य नाम: इस मंत्र को ‘श्रीरामरक्षास्तोत्रम्’ में भी स्थान प्राप्त है, जो भगवान श्रीराम की रक्षा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है।
लाभ: इस मंत्र का नियमित जाप करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्मविश्वास और जीवन में स्थिरता प्राप्त होती है। साथ ही, यह मंत्र एकाग्रता बढ़ाने, शत्रुओं से रक्षा और भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
!! राम राम जय राजा राम, राम राम जय सीता राम !!
!! जय श्री राम !!