Gauraiya vilupt hone ki kagar par: क्या आपके घर से भी गायब हो गई गौरैया?
गौरैया बचाने की मुहिम: गौरैया हमारी प्रकृति और पर्यावरण का अभिन्न हिस्सा हैं। यह न केवल हमारी यादों का हिस्सा हैं, बल्कि पर्यावरण संतुलन में भी बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
गौरैया, जो कभी हर गली-मोहल्ले में आसानी से दिखती थी, अब धीरे-धीरे विलुप्ति की कगार पर पहुंच रही है। यदि सरकार और आम जनता मिलकर प्रयास करें, तो निश्चित रूप से इस छोटी, लेकिन महत्वपूर्ण चिड़िया को हम फिर से हमारे आंगन में चहकते देख सकतें है।
👉 “अगर गौरैया बची रहेगी, तो प्रकृति में मिठास भी बनी रहेगी!”
गौरैया (House Sparrow) कभी हर घर, खेत और गली-मोहल्लों में फुदकती नजर आती थी, जब खाना खाने बैठते थे, तो हमारे घरो के बड़े बुजुर्ग अपने थालियों से कुछ खाना निकाल कर आस पास रख देते थे, तो गौरैया आकर बढ़िया साथ में बैठकर या कभी कभी तो थालियों से ही चावल या रोटी के कुछ टुकड़े ले जाती थी। कितना अच्छा लगता था
गौरैया का चहचहाना। लेकिन अब यह नज़ारा दुर्लभ होता जा रहा है। गाँवों में अभी भी गौरैया प्रेम देखने को मिलता है, लेकिन शहरों में इनकी संख्या तेजी से घट रही है। चिंता की बात यह है कि यह पक्षी अब IUCN की रेड लिस्ट में शामिल हो चुका है। आखिर इसकी वजह क्या है? और हम गौरैया को बचाने के लिए क्या कर सकते हैं? इस लेख में हम इन सभी सवालों के जवाब विस्तार से देंगे।
गौरैया की घटती संख्या – आखिर क्यों है यह विलुप्ति की कगार पर?
गौरैया की आबादी में गिरावट के पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं। आइए जानते हैं कि इस नन्ही सी चहचहाती चिड़िया को क्या खतरे हैं:
1️⃣ आवास (Habitat Loss) की समस्या
✅ शहरीकरण और आधुनिक इमारतों के बढ़ने से गौरैया के घोंसले बनाने के स्थान कम हो गए हैं।
✅ पहले कच्चे घर, खपरैल की छतें और पेड़ इनके प्राकृतिक आवास होते थे, जो अब गायब हो रहे हैं।
2️⃣ मोबाइल टावर और रेडिएशन (Electromagnetic Radiation)
✅ मोबाइल टावरों से निकलने वाला रेडिएशन, गौरैया के नेविगेशन सिस्टम को बहुत ज्यादा Affect करता है, जिससे ये रास्ता भटक जाती हैं।
✅ रिसर्च बताते हैं कि मोबाइल रेडिएशन से इनके अंडों का डेवलोपमेन्ट सही ढंग से नहीं होता है।
3️⃣ भोजन की कमी (Lack of Food Sources)
✅ पहले खेतों में, खुले में अनाज, घास के बीज, कीड़े-मकोड़े और कीटनाशक रहित फसलें उपलब्ध हुआ करती थीं।
✅ आज रासायनिक कीटनाशकों के ज्यादा यूज़के कारन इनके भोजन स्रोत खत्म हो रहे हैं।
4️⃣ प्रदूषण (Pollution) और ग्लोबल वॉर्मिंग
✅ वायु प्रदूषण से गौरैया के सांस लेने की समस्या बढ़ रही है।
✅ अत्यधिक गर्मी और जलवायु परिवर्तन जैसे प्रतिकूल वातावरण भी, इनके कम होने की वजह बन रहे हैं।
5️⃣ मोनोकल्चर खेती और गंदगी का बढ़ता स्तर
✅ सिर्फ एक तरह की फसल उगाने के कारण विविधता खत्म हो रही है, जिससे इनके लिए भोजन की मात्रा कम हो रही है।
✅ कचरा और प्लास्टिक के कारण इनके भोजन में मिलावट हो जाती है, जिससे ये बीमार पड़ रही हैं।
गौरैया को बचाने के लिए सरकार और जनता क्या कर सकती है?
गौरैया को बचाने के लिए सरकार और आम जनता दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
🟢 सरकार द्वारा उठाए जा सकने वाले कदम
✅ गौरैया संरक्षण अभियान: सरकार को गौरैया को राष्ट्रीय संरक्षण सूची में शामिल कर इसके लिए विशेष अभियान चलाने चाहिए।
✅ बायोडायवर्सिटी संरक्षण कानून: खेती में हानिकारक कीटनाशकों के उपयोग को सीमित करने के लिए सख्त कानून लागू करने चाहिए।
✅शहरी नियोजन: नई इमारतों और टाउनशिप में पक्षियों के घोंसले बनाने की जगह देने के लिए नियम बनाए जाएं।
✅रेडिएशन नियंत्रण: मोबाइल टावरों से निकलने वाले रेडिएशन को नियंत्रित करने के लिए सख्त दिशानिर्देश लागू किए जाएं।
🟢 जनता की भूमिका – हम क्या कर सकते हैं?
गौरैया को बचाने में, आम लोगों की भूमिका भी बेहद अहम है। अगर हम कुछ छोटे-छोटे कदम उठाएं, तो इस चिड़िया को फिर से अपने घरों और बगीचों में चहकने का मौका मिल सकता है।
घरों में गौरैया के लिए नेस्ट बॉक्स लगाएं- लकड़ी या मिट्टी के घोंसले बनाकर बालकनी, छत, खिड़कियों और पेड़ों पर लगाएं। यह गौरैया को सुरक्षित घोंसले का स्थान देगा।
खाने और पानी का इंतजाम करें- गर्मी और सर्दी के मौसम में गौरैया के लिए कटोरियों में पानी और कुछ खाना रखें। बिना कीटनाशक वाले अनाज और दाने रखना चाहिए।
पेड़-पौधे लगाएं और जैविक खेती को बढ़ावा दें- अधिक से अधिक पौधे लगाकर प्राकृतिक आवास तैयार करें। जैविक खेती को बढ़ावा देकर उनके लिए प्राकृतिक भोजन की उपलब्धता बढ़ाएं।
मोबाइल टावरों और रेडिएशन के प्रति जागरूकता बढ़ाएं- मोबाइल टावरों को कम करने के लिए स्थानीय प्रशासन से अपील करें।
अनावश्यक मोबाइल डेटा और वाई-फाई को बंद करने की आदत डालें।
जागरूकता अभियान चलाएं:
गौरैया बचाने के लिए सोशल मीडिया और स्थानीय समुदायों में जागरूकता फैलाएं।
स्कूलों और कॉलेजों में गौरैया संरक्षण से जुड़े कार्यक्रम आयोजित करें।
क्या हम गौरैया को फिर से वापस ला सकते हैं?
हाँ, हमारा एक छोटा सा प्रयाश, इसे बचाने में मददगार हो सकता हैं। गौरैया सिर्फ एक पक्षी नहीं, बल्कि हमारे पर्यावरण की सेहत का संकेतक है। अगर हम इसे नहीं बचाएंगे, तो हमारी आने वाली पीढ़ियां इसे सिर्फ तस्वीरों में ही देख पाएंगी। आइए, इस विश्व गौरैया दिवस पर संकल्प लें कि हम गौरैया और अन्य पक्षियों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे!
अब सवाल यह है – क्या हम गौरैया को बचाने के लिए एक छोटा-सा कदम उठाने को तैयार हैं?
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