Bharat Mein Kuposhan Ke Khilaf Jung Poshan Abhiyan aur Poshan Pakhwada 2025: राष्ट्रीय पोषण मिशन 2025 में आप कैसे योगदान दे सकते हैं।
भारत में कुपोषण की चुनौती और पोषण अभियान का महत्व
भारत में कुपोषण एक गंभीर समस्या बनी हुई है, जो विशेष रूप से बच्चों, गर्भवती महिलाओं और किशोरियों को प्रभावित करती है। वैश्विक स्तर पर भारत का योगदान कुपोषण से संबंधित आंकड़ों में हाई है, और इसे हल करना देश के लिए बड़ी चुनौती है। कुपोषण के कारण बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है, जबकि महिलाओं के स्वास्थ्य पर इसका सीधा असर पड़ता है।
पोषण अभियान (Poshan Abhiyan) और पोषण पखवाड़ा (Poshan Pakhwada) इस समस्या का समाधान करने के लिए सरकार की प्रमुख Initiatives हैं। इन पहलों का उद्देश्य देशभर में पोषण के प्रति अवेयरनेस फैलाना, कुपोषण को कम करना और विशेष रूप से बच्चों और महिलाओं को स्वस्थ पोषण प्रदान करना है। पोषण पखवाड़ा 2018 में शुरू किया गया और यह अभियान एक एनुअल कैंपेन है जो मार्च में मनाया जाता है।
पोषण अभियान क्या है?
पोषण अभियान 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया था। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य कुपोषण, स्टंटिंग (कद में कमी), एनीमिया (रक्त की कमी), और अंडरन्यूट्रिशन (अपर्याप्त पोषण) की समस्याओं को समाप्त करना है।

Main Components:
ICDS (Integrated Child Development Services) को स्ट्रांग करना: आंगनवाड़ी केंद्रों को Nutritious food सामग्री देने के लिए मजबूत किया गया है।
टेक्नोलॉजी का उपयोग: पोषण ट्रैकर जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग किया गया है, ताकि पोषण की निगरानी की जा सके और सही समय पर जरूरतमंद लोगों तक पोषण पहुंच सके।
कम्युनिटी आधारित सक्रियता: पोषण के महत्व को समझाने के लिए समुदाय में जागरूकता अभियान चलाए गए हैं, जिससे लोग स्वच्छता और पोषण पर अधिक ध्यान दें।
टारगेट ग्रुप्स:
गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली माताएं, और 0-6 वर्ष के बच्चे।
इस अभियान में मुख्य रूप से महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आहार विशेषज्ञों और चिकित्सकों की सक्रिय भागीदारी है।
पोषण पखवाड़ा – एक राष्ट्रीय पोषण अभियान
पोषण पखवाड़ा का आयोजन हर साल 8 से 23 मार्च तक किया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों में पोषण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह अभियान विशेष रूप से निम्नलिखित कार्यों पर केंद्रित रहता है:
मुख्य गतिविधियाँ:
वृद्धि निगरानी शिविर: बच्चों की शारीरिक ग्रोथ की निगरानी की जाती है और उनका पोषण स्तर मापा जाता है।
वर्कशॉप्स और ट्रेनिंग: आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और समुदाय के लोगों को पोषण के महत्व और सही आहार के बारे में ट्रेनिंग दी जाती है।
आंगनवाड़ी आउटरीच: गांव-गांव में आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से पोषण संबंधी गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं।
सोशल मीडिया अभियान: #PoshanPakhwada के तहत सोशल मीडिया पर जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं ताकि पोषण के प्रति लोगों का ध्यान अट्रैक्ट किया जा सके।

थीम आधारित अभियान:
हर वर्ष पोषण पखवाड़े में एक विशेष थीम पर फोकस किया जाता है जैसे:
स्तनपान का महत्व: बच्चों के लिए पहले छह महीने का स्तनपान महत्वपूर्ण है।
आहार विविधता: बच्चों को संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार देना।
अचीवमेंट्स और चैलेंजेज
पोषण अभियान के लागू होने के बाद कई सुधार हुए हैं, लेकिन अभी भी चैलेंजेज मौजूद हैं।
अचीवमेंट्स:
स्टंटिंग (कद में कमी): पिछले कुछ वर्षों में स्टंटिंग की दर में गिरावट आई है। NFHS-5 के आंकड़ों के अनुसार, बच्चों में स्टंटिंग की दर 38% से घटकर 34% हो गई है।
एनीमिया: गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की समस्या में कमी आई है, इसके लिए आयरन और फोलिक एसिड सप्लीमेंट्स की योजना लागू की गई है।
अंतिम चरण में पोषण डिस्ट्रीब्यूशन: देश के दूरदराज के क्षेत्रों में पोषण सामग्री और सेवाओं का डिस्ट्रीब्यूशन चैलेंजिंग हो सकता है।
बिहेवियर चेंज में कठिनाइयाँ: पोषण संबंधी आदतों में परिवर्तन लाना और स्थानीय आहार को बढ़ावा देना कठिन हो सकता है।
अवेयरनेस की कमी: कई क्षेत्रों में अभी भी पोषण के बारे में अवेयरनेस कम है, और लोगों की परंपरागत आदतों में बदलाव लाना एक चैलेंज है।
आप कैसे भाग ले सकते हैं?
पोषण अभियान और पोषण पखवाड़ा की सफलता के लिए सार्वजनिक भागीदारी महत्वपूर्ण है। आप निम्नलिखित तरीकों से इन पहलों में योगदान दे सकते हैं:
वालंटियर के रूप में आंगनवाड़ी केंद्रों पर कार्य करें: आप आंगनवाड़ी केंद्रों पर पोषण कार्यक्रमों में हिस्सा ले सकते हैं और बच्चों एवं महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार ला सकते हैं।
स्थानीय पोषक आहार को बढ़ावा दें: बाजरा, पत्तेदार सब्जियां, और अन्य स्थानीय पोषक तत्वों से भरपूर आहार को बढ़ावा देकर, आप पोषण के स्तर को बेहतर बना सकते हैं।
सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाएं: #PoshanPakhwada के माध्यम से पोषण के महत्व के बारे में जानकारी साझा करें और लोगों को प्रेरित करें कि वे स्वस्थ आहार अपनाएं।
निष्कर्ष: कुपोषण मुक्त भारत की दिशा में सामूहिक रिस्पॉन्सिबिलिटी
भारत में कुपोषण एक गंभीर समस्या है, लेकिन पोषण अभियान और पोषण पखवाड़ा जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से इस समस्या को हल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। यदि हम सभी सामूहिक रूप से इस अभियान में भाग लें और पोषण के महत्व को समझें, तो हम एक स्वस्थ और कुपोषण मुक्त भारत की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।
आखिरकार, यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने आहार पर ध्यान दें, पोषण के प्रति जागरूक रहें और दूसरों को भी इस दिशा में प्रोत्साहित करें। एक स्वस्थ समाज का निर्माण केवल, सही पोषण से ही संभव है।