Krishna Radha Prem Leela: जानिए ब्रज की प्रेम लीला का अद्भुत रहस्य – श्रीकृष्ण क्यों राधा रानी के चरण दबाते थे। भागवत, उपनिषद और संत परंपरा से जुड़े आध्यात्मिक रहस्यों का भावनात्मक वर्णन।
Krishna Radha Prem Leela: ब्रज की अमर कथा, क्यों दबाते थे श्रीकृष्ण राधा रानी के चरण?
मथुरा/वृंदावन से विशेष कथा रिपोर्ट –
ब्रजभूमि की लीलाओं का केंद्र है प्रेम, और इस प्रेम का सर्वोच्च रूप है श्री राधा-कृष्ण का मिलन। अक्सर भक्तजन यह प्रश्न करते हैं कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण, जो समस्त ब्रह्मांड के पालनकर्ता हैं, वे क्यों राधा रानी के चरण दबाते थे?
राधा रानी कौन हैं?
‘राधा’ शब्द का रहस्य शास्त्रों में विस्तार से बताया गया है। देवी भागवत के अनुसार, “रा” धातु का अर्थ है – जिससे सभी कामनाएँ पूर्ण होती हैं, यहां तक कि कृष्ण को पाने की भी।
वहीं सामरस उपनिषद में वर्णित है कि स्वयं श्रीकृष्ण ने अपनी आराधना की इच्छा प्रकट की और उसी से राधा जी प्रकट हुईं। अर्थात राधा केवल श्रीकृष्ण की प्रेयसी ही नहीं, बल्कि स्वयं उनका ही रूप हैं – उनकी आत्मा।
चरण दबाने की लीला का अर्थ
श्रीकृष्ण का राधा रानी के चरण पकड़ना कोई साधारण घटना नहीं, बल्कि यह विशुद्ध प्रेम की लीला है। भगवान तो रसिक हैं, वे भक्तों के चरणों की रज के लिए उनके पीछे भी दौड़ते हैं। जब वे साधारण भक्तों की चरण-रज पाने के लिए लालायित रहते हैं, तो फिर राधा जी के चरण दबाने में क्या आश्चर्य?
कथाओं में आता है कि जब श्रीकृष्ण राधा जी के चरण छूने का प्रयास करते हैं, तो राधा जी प्रेमपूर्वक हुंकार करती हैं। उस क्षण रसिक श्याम भयभीत होकर पीछे हट जाते हैं कि कहीं राधा जी मान न कर लें। यही दिव्य प्रेम लीला ब्रज के रसिकों को भक्ति में डुबो देती है।
रसिक परंपरा की व्याख्या
स्वामी हरिदास जी, जो बिहारी जी के प्रकटकर्ता हैं, अपनी वाणी में लिखते हैं –
“ता ठाकुर को ठकुराई…”
वे कहते हैं कि बांके बिहारी ही सब ठाकुरों के ठाकुर हैं, लेकिन उनकी भी ठकुराइन हैं – श्री राधा रानी।
यही कारण है कि ब्रज की हर गली में, हर मंदिर में, यह ध्वनि गूंजती है –
🌹 “जय जय श्री राधे” 🌹
निष्कर्ष
श्रीकृष्ण और राधा रानी की चरण लीला हमें यह सिखाती है कि प्रेम ही परम तत्व है। भगवान भी जब प्रेम में होते हैं, तो अपने को भुलाकर भक्त और प्रेयसी के चरण पकड़ने में संकोच नहीं करते। यही ब्रज की अमर लीला है, जो आज भी भक्तों के हृदय में अनंत रस घोल रही है।
Krishna Radha Prem Leela:
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